Practicing Success
जाती हुई धूप संध्या की सेंक रही है मां अपना अप्रासंगिक होना देख रही है मां
भरा हुआ घर है नाती-पोतों से, बच्चों से अनबोला बहुओं का बोले बंद खिड़कियों से
इधर-उधर उड़ती सी नज़रें फेंक रही है मां
फूली सरसों नहीं रही अब खेतों में मन के पिता नहीं हैं, अब नस-नस क्या कंगन सी खनकें
रस्ता धकी हुई यादों का छेंक रही है मां |
'रस्ता थकी हुई यादों का' से अभिप्राय है - |
यादों को भुलाना स्मृतियों का घिर जाना याद को रास्ते पर रखना याद करना |
स्मृतियों का घिर जाना |