निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिए:- ओ निराशा,तू बता क्या चाहती है? मैं कठिन तूफ़ान कितने झेल आया, मैं रुदन के पास हँस-हँस खेल आया| मृत्यु-सागर-तीर पर पद-चिह्न रखकर- मैं अमरता का नया सन्देश लाया| आज तू किसको डराना चाहती है? ओ निराशा तू बता क्या चाहती है? शूल क्या देखूँ चरण जब उठ चुके हैं हार कैसी, होसले जब बढ़ चुके हैं| तेज़ मेरी चाल आँधी क्या करेगी | आग में मेरे मनोरथ तप चुके हैं| आज तू किससे लिपटना चाहती है? चाहता हूँ मैं कि नभ-थल को हिला दूँ, और रस की धार सब जग को पिला दूँ, चाहता हूँ पग प्रलय-गति से मिलाकर - आह की आवाज पर मैं आग रख दूँ| आज तू किसको जलाना चाहती है? ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है? |
कवि क्या चाहता है? |
विश्व में प्रलय इच्छाओं की पूर्ती संसार में क्रांति असीमित अधिकार |
संसार में क्रांति |
कवि संसार में क्रांति लाना चाहता है | |