दिए गए गंधाश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। छायावाद हिंदी साहित्य के आधुनिक युग की वह काव्यधारा है जो लगभग 1916 से 1936 (उच्छवास से युगांत) तक ही प्रमुख युगवाणी रही, जिसमें प्रसाद, निराला, पंत महादेवी आदि प्रमुख कवि हुए और स्वच्छंदता जिसकी मूल प्रवृत्ति है। 'छायावाद' की प्रवृत्तियों का दर्शन 1916-17 ई. के आस पास दिखलायी देने लगता है और छायावाद' नाम का प्रचलन 1920 ई. के आस-पास हो चुका था। मुकुटधर पांडेय ने 1920 ई. में जबलपुर की श्री शारदा पत्रिका में हिंदी में छायावाद शीर्षक चार निबंधों की एक लेख माला प्रकाशित करवाई थी। संभवतः 'छायावाद' नाम का यह पहला प्रयोग था 'सरस्वती' में छायावाद का प्रथम उल्लेख जून, 1921 ई. के अंक में मिलता है। "छायावाद क्या है प्रश्न का उत्तर देते हुए मुकुटधर पांडेय ने लिखा है कि अंग्रेजी या किसी पाश्चात्य साहित्य अथवा बंग साहित्य की वर्तमान स्थिति की कुछ भी जानकारी रखने वाले तो सुनते ही समझ जायेंगे कि वह शब्द मिस्टिसिज्म के लिए आया है। 'छायावाद' के लिए 'मिस्टिसिज्म' शब्द के आते ही रहस्यवाद शब्द की बुनियाद पड़ गयी। सुकवि किंकर छद्मनामधारी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध आजकल के हिंदी कवि और कविता (सरस्वती: 6 मई, 1927) से पता चलता है कि जिन कविताओं को ओर लोग छायावाद कहते थे उन्हीं को वे रहस्यवाद कहना चाहते थे। |
'छायावाद' का समय कब से कब तक माना गया है- |
1920-1921 1916-1917 1916-1936 1940-1950 |
1916-1936 |
सही उत्तर विकल्प (3) है → 1916-1936 |