निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उससे संबंधित प्रश्न का उत्तर दीजिए- सृष्टि-विस्तार से अभ्यस्त होने पर प्राणियों को कुछ विषय रुचिकर और कुछ अरुचिकर प्रतीत होने लगे हैं। अरुचिकर विषयों के उपस्थिति होने पर अपने ज्ञानपथ से उन्हें दूर रखने की प्रेरणा करनेवाला जो दुःख होता है उसे घृणा कहते हैं। सुभीते के लिए हम यहाँ घृणा के विषयों के दो विभाग करते हैं स्थूल और मानसिक स्थूल विषय आँख, कान और नाक इन्हीं तीन इन्द्रियों से संबंध रखते हैं। हम चिपटी नाक और मोटे ओंठ से सुसज्जित चेहरे को देख दृष्टि फेरते हैं, खरस्वान खर्राट तान सुनकर कान में उँगली डालते हैं और म्युनिसिपैलिटी की मैला गाड़ी सामने आने पर नाक पर रूमाल रखते हैं। रस और स्पर्श अकेले घृणा नहीं उत्पन्न करते । रस का रुचिकर या अरुचिकर लगना तो कई अंशों में घ्राण से सम्बद्ध है। मानसिक विषयों की घृणा मन में कुछ अपनी ही क्रिया से आरोपित और कुछ शिक्षा द्वारा प्राप्त आदर्शों के प्रतिकूल विषयों से सर्वथा स्वतंत्र होते हैं। निर्लज्जता की कथा कितनी ही सुरीली तान में सुनायी जाए, घृणा उत्पन्न ही करेगी। कैसा ही गंदा आदमी परोपकार करे उसे देख श्रद्धा उत्पन्न हुए बिना न रहेगी। |
निर्लज्जता की कथा किस तान में सुनाने पर भी घृणा ही उत्पन्न करती है? |
रसीली तान सुरीली तान मालकौंस मल्लार |
सुरीली तान |
सही उत्तर विकल्प (2) है → सुरीली तान |