निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर प्रश्न का उत्तर दीजिए। अबिगत गति कछु कहति न आवै! ज्यों गूंगो मीठे फल कौ रस अन्तर्गत ही भावै॥ परम स्वादु सबहीं जुं निरन्तर अमित तोष उपजावै। मन बानी कौ अगम अगोचर सो जाने जो पावै॥ रूप रेख गुन जाति जुगति बिनु निरालंब मन चकृत धावै। सब बिधि अगम बिचारहिं, तातें सूर सगुन लीला पद गावै॥ |
'जो इन्द्रियों से न जाना जा सके।' इसके लिए एक शब्द है - |
जितेंद्रिय बहुज अगोचर प्रत्यागत |
अगोचर |
सही उत्तर विकल्प (3) है → अगोचर |