'जाके पाँव न फटे बिवाई,सो क्या जाने पीर पराई' लोकोक्ति का सही अर्थ क्या होगा? |
दयालु होना कठोर होना दूसरे के कष्ट को समझना जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो, वह दूसरों का दुःख क्या समझेगा |
जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो, वह दूसरों का दुःख क्या समझेगा |
'जाके पाँव न फटे बिवाई,सो क्या जाने पीर पराई' लोकोक्ति का सही अर्थ है जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो, वह दूसरों का दुःख क्या समझेगा |