दिए गए गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- इस साल जुलाई में भारतीय रुपये ने तब पहली बार प्रति डॉलर 80 का मनोवैज्ञानिक स्तर पार किया, जब महंगाई पर लगाम कसने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें कई बार बढ़ाई, नतीजतन डॉलर मजबूत हुआ। कुछ दिन धमने के बाद रुपये ने 28 सितंबर को एक बार फिर प्रति डॉलर 80 का निशान पार कर लिया और 81.9 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। थोड़ा संभला पर 3 अक्तूबर को फिर 81.7 पर आ लगा। भारत के लिए ज्यादा फिक्र की बात यह है कि रुपये की गिरावट को थामने की आरबीआई की कोशिशें आंशिक तौर पर ही कामयाब रही हैं। इतना ही नहीं, रुपये को थामने के चक्कर में वह देश का विदेशी मुद्रा भंडार उलीच रहा है, जो पिछले साल 3 सितंबर को 642 अरब (52.4 लाख करोड़ रुपये) से घटते घटते 23 सितंबर को 537 अरब डॉलर (43.9 लाख करोड़ रुपये) पर आ गया। दरअसल, आरबीआई की तरफ से सरकारी बैंक डॉलर की भारी खरीद का सहारा ले रहे हैं। विशेषज्ञों को आने वाले हफ्तों में रुपये के और कमजोर होने का अंदेशा है क्योंकि निवेशक भारतीय वित्तीय बाजारों से लगातार रुखसत हो रहे हैं। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने 2022 में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 1.68 लाख करोड़ रुपये निकाले अकेले सितंबर में ही 7,600 करोड़ रुपये निकाले गए। अगर आरबीआई रुपये को टेका लगाने के लिए देश के विदेशी मुद्रा भंडार से रकम निकालता रहा है तो इसमें और ज्यादा कमी आ सकती है। फिलहाल देश के पास आठ माह के आयात के मूल्य के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है। चार महीने से कम के बराबर मूल्य को खतरे का निशान माना जाता है। |
उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए - |
भारतीय मुद्रा भंडार डालर और रुपया की बढ़ोत्तरी रुपये की गिरावट भारतीय शेयर बाजार |
रुपये की गिरावट |
सही उत्तर विकल्प (3) है → रुपये की गिरावट |