नवंबर 2021 में रिजर्व बैंक के वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लैंडिंग ऐप (लोन ऐप) पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया कि 2017 से 2020 के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कर्ज लेन-देन की रकम मैं 12 गुना का उछाल देखा गया। 2017 में यह आंकड़ा 11,671 करोड़ रुपए था जो 2020 तक आते-आते बढ़कर 1,41,821 करोड़ रुपए हो गया। जनवरी और फरवरी 2017 के बीच 81 ऐप स्टोर की जांच में पाया गया कि उस समय भारत में 1,100 से ज्यादा डिजिटल लोन ऐप मौजूद थे। इसमें से RBI ने अपनी जांच में करीब 600 ऐप को गैर कानूनी माना, जिन्हें बाद में गूगल स्टोर से हटा दिया या गया। रिजर्व बैंक की इसी रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी, 2020 से लेकर मार्च, 2021 के बीच देश भर में ऑनलाइन लोन ऐप की धोखाधड़ी को लेकर 2,562 एफआईआर दर्ज हुई। हालांकि ऑनलाइन लोन ऐप के पीड़ितों की मदद में लगे गेर सरकारी संगठन सेव देम इंडिया फाउंडेशन के मुताबिक पीड़ितों की संख्या इससे कई गन गुना बड़ी है। इस संगठन को 1 जनवरी, 2022 से 5 अगस्त, 2022 के बीच ही इस तरह की 47,195 शिकायतें मिल चुकी हैं। मोबाइल ऐप से छोटे-मोटे लोन लेने वाले लोग अक्सर गरीब-गुरबे होते हैं। वे अपने साथ धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिखवाने से भी कतराते हैं, जिससे पीड़ितों की वास्तविक संख्या का पता नहीं लग पाता। |
2017 से 2020 के दौरान डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए कर्ज के लेन-देन में कितने गुना का उछाल देखा गया? |
15 गुना 13 गुना 12 गुना 16 गुना |
12 गुना |
नवंबर 2021 में रिजर्व बैंक के वर्किंग ग्रुप ने डिजिटल लैंडिंग ऐप (लोन ऐप) पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया कि 2017 से 2020 के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए कर्ज लेन-देन की रकम मैं 12 गुना का उछाल देखा गया। |