निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा, क्रन्दन में आहत विश्व हँसा, नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली! मेरा पग पग संगीतभरा, श्वांसों से स्वप्न - पराग झरा, नभ के नव रंग बुनते दुकूल, छाया में मलय-बयार पली! मैं क्षितिज भृकुटि पर घिर धूमिल, चिन्ता का भार बनी अविरल, रजकण पर जल-कण हो बरसी नवजीवन - अंकुर बन निकली! पथ को न मलिन करता आना, पद - चिह्न न दे जाता जाना। |