निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर नीचे दिए हुए प्रश्न का उत्तर दीजिए। हम सभी सफल जीवन जीने के लिए पैदा हुए हैं, मगर हमारी आदतें और माहौल हमें असफलता की ओर ले जाते हैं। हमारा जन्म जीत के लिए हुआ है, मगर माहौल की वजह से हमने हारना सीख लिया है। हम अक्सर ऐसी बातें सुनते हैं- 'उस आदमी की क़िस्मत अच्छी है, मिट्टी छूता है तो सोना बन जाता है' या फिर 'वह बदक़िस्मत है वह कुछ भी छुए मिट्टी हो जाता है'। मगर यह सच नहीं है। अगर आप जाँचे परखें तो पाएँगे कि जाने या अनजाने सफल लोग अपने हर काम में सही क़दम उठा रहे हैं, जबकि हारने वाले लोग अपने हर काम में वही ग़लतियाँ दोहरा रहे हैं। याद रखें, प्रैक्टिस से पूर्णता नहीं आती, बल्कि सिर्फ़ सही प्रैक्टिस से ही पूर्णता आती है। प्रैक्टिस हर उस काम को स्थाई बना देती है जिसे हम बार-बार करते हैं। कुछ लोग अपनी ग़लतियों की ही प्रैक्टिस करते रहते हैं और वे उसी में परफेक्ट (perfect) हो जाते हैं। इसलिए वे ग़लतियाँ करने में माहिर हो जाते हैं और ग़लतियाँ उनके व्यवहार में ख़ुद-ब-खुद आने लगती है। व्यावसायिक लोग अपना काम आसानी से इसलिए कर जाते हैं क्योंकि उन्होंने उस काम में पूरी महारत हासिल कर ली होती है। बहुत से लोग काम सिर्फ़ तरक्की को दिमाग में रखकर करते हैं, लेकिन वे जिनकी अच्छा काम करने की आदत बन जाती है, वही तरक्की के असली हकदार हैं। किसी चीज़ की आदत डालना खेती करने के समान है। इसमें समय लगता है। यह व्यक्ति के अपने अंदर से उपजती है एक आदत दूसरी आदत को जन्म देती है। अंतप्रेरणा एक व्यक्ति से काम शुरू कराती है, प्रेरणा उसे सही राह पर बनाए रखती है और आदत की वजह से स्थाई रूप ले लेती है और काम ख़ुद-ब-खुद होता चला जाता है। |
तरक्की के असली हकदार कौन होते हैं? |
तरक्की को दिमाग़ में रखने वाले लोग गलतियों की प्रैक्टिस करने वाले लोग अच्छा काम करने की आदत बना लेने वाले लोग प्रैक्टिस से पूर्णता प्राप्त करने वाले लोग |
अच्छा काम करने की आदत बना लेने वाले लोग |
सही उत्तर विकल्प (3) है → अच्छा काम करने की आदत बना लेने वाले लोग |