क्रिया की तीन अवस्थाएं होती हैं:
- सामान्य अवस्था: यह क्रिया की मूल अवस्था होती है। इस अवस्था में क्रिया का अर्थ स्पष्ट होता है। जैसे, "लड़का पढ़ता है"।
- विधि अवस्था: यह क्रिया की वह अवस्था होती है जिसमें क्रिया के करने के तरीके का बोध होता है। जैसे, "लड़का पढ़ता जा रहा है"।
- संभाव्य अवस्था: यह क्रिया की वह अवस्था होती है जिसमें क्रिया के होने की संभावना का बोध होता है। जैसे, "लड़का पढ़ सकता है"।
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