निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए। ओंकारनाथ सेर करके लोटे थे और आज के पत्र के लिए संपादकीय लेख लिखने की चिन्ता में बैठे थे; पर मन पक्षी की भाँति अभी उड़ा उड़ा फिरता था। उनकी धर्मपत्नी ने रात में उन्हें कुछ ऐसी बातें कह डाली थीं, जो अभी तक काँटों की तरह चुभ रही थीं। उन्हें कोई दरिद्र कह ले, अभागा कह ले बुद्ध कह ले, वह जरा भी बुरा न मानते थे लेकिन यह कहना की उनमें पुरुषत्व नहीं है, यह उनके लिए असह्य था और फिर अपनी पत्नी को यह कहने का क्या हक है? उससे तो यह आशा की जाती है कि कोई इस तरह का आक्षेप करे तो उसका मुहँ बंद कर दे। बेशक वह ऐसी खबरें नहीं छापते. ऐसी टिप्पणियाँ नहीं करते कि सिर पर कोई आफत आ जाए। फूँक-फूँककर कदम रखते हैं। इन काले कानूनों के युग में वह और कर ही क्या सकते हैं मगर वह क्यों साँप के बिल में हाथ नहीं डालते? इसलिए तो कि उनके घरवालों को कष्ट न उठाने पड़ें। |
ओंकारनाथ कैसे कदम रखते हैं? |
तेज-तेज दौड़ते-दौड़ते फूँक-फूँककर सहज-सहज |
फूँक-फूँककर |
सही उत्तर विकल्प (3) है → फूँक-फूँककर |