रसोत्पति में आश्रय की चेष्टाएं क्या कही जाती हैं? |
विभाव अनुभाव उद्दीपन आलम्बन |
अनुभाव |
रसोत्पति में आश्रय की चेष्टाएं अनुभाव कहलाती हैं। अनुभाव, स्थायी भावों को व्यक्त करने वाली आश्रय की चेष्टाएं हैं। ये चेष्टाएं भाव-जागृति के उपरांत आश्रय में उत्पन्न होती हैं इसलिए इन्हें अनुभाव कहते हैं, अर्थात जो भावों का अनुगमन करे वह अनुभाव कहलाता है। |