निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर उससे संबंधित प्रश्न का उत्तर दीजिए- 'तारसप्तक' के प्रकाशन से हिंदी साहित्य में आधुनिक संवेदना का सूत्रपात माना जाता है। आधुनिकता की अवधारणा मूल्यबोधी होने पर भी मूलतः तो कालबोधी है। इतिहास की प्रक्रिया को समझ कर उसकी गति को द्रुततर करने का सजग मानवीय प्रयास यदि आधुनिकता का मुख्य लक्षण है तो साम्यवादी विचारधारा ने इस क्षेत्र में सैद्धांतिक ढंग से पहल की, इसमें संदेह नहीं, यों पश्चिम के देश औद्योगिक क्रांति और तत्संबंधी अन्वेषणों से यह कार्य व्यावहारिक रूप में पहले से करते आ रहे थे। 'तारसप्तक' का आयोजन और संपादन अज्ञेय करते हैं और उसमें सबसे अधिक बलपूर्वक वे कवि शामिल होते हैं, जिन्होंने अपने को साम्यवादी घोषित किया। स्वाधीन पश्चिम और साम्यवादी रूस दोनों की विचारधाराएँ हिंदी साहित्य के सजग रूप में नियोजित आधुनिक काव्यांदोलन में परस्पर टकराती हैं, जिनके बीच ये सात कवि अपने निजी व्यक्तित्व की तलाश में गतिशील दिखते हैं। इस दृष्टि से 'तारसप्तक' की भूमिका में उन्हें 'राहों का अन्वेषी' ठीक ही कहा गया है। यहाँ संकलित सात कवि हैं- गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माधुर, रामविलास शर्मा, 'अज्ञेय' वैचारिक मतभेद के बावजूद इन कवियों को एक साथ लाने वाला मुख्य तत्त्व उनका प्रयोग पर आग्रह है। समाज के हित में जैसे क्रांति की सतत प्रक्रिया काम्य है, वैसे ही रचना के हित में प्रयोग की प्रयोगवाद' नामकरण को अनुपयुक्त मानते हुए 'दूसरा सप्तक' (1951) की भूमिका में अज्ञेय को स्पष्ट करना पड़ा कि "प्रयोग का कोई वाद नहीं है... प्रयोग अपने आप में इष्ट नहीं है, वह साधन है और दोहरा साधन है क्योंकि एक तो वह उस सत्य को जानने का साधन है, जिसे कवि प्रेषित करता है, दूसरे वह उस प्रेषण की क्रिया को और उसके साधनों को जानने का भी साधन है अर्थात् प्रयोग द्वारा कवि अपने सत्य को अधिक अच्छी तरह जान सकता है और अधिक अच्छी तरह अभिव्यक्त कर सकता है।" |
'तारसप्तक' कितने कवियों का संकलन है? |
5 6 7 8 |
7 |