निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
दिवसावसान का समय, मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या-सुंदरी परी-सी धीरे- धीरे-धीरे । तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास, मधुर मधुर है दोनों उसके अधर- किन्तु जरा गम्भीर, नहीं है उनमें हास - विलास। हँसता है तो केवल तारा एक गँधा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से हृदयराज्य की रानी का वह करता है अभिषेक। अलसता की-सी लता किन्तु कोमलता की वह कली सखी नीरवता के कंधे पर डाले बाह, छाँह-सी अम्बर- पथ से चली। नहीं बजती उसके हाथों में कोई वीणा, नहीं होता कोई अनुराग राग आलाप नूपुरों में भी रुनझुन रुनझुन नहीं सिर्फ एक अव्यक्त शब्द सा 'चुप, चुप, चुप' है गूँज रहा सब कहीं- |