निम्नलिखित पद्यांश को पढ़ कर नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर लिखिए।
रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष अंगना - अंग से लिपटे भी आतंक अंक पर काँप रहे हैं। धनी, वज्र गर्जन से बादल! त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं। जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर, तुझे बुलाता कृषक अधीर, ऐ विप्लव के वीर! चूस लिया है उसका सार, हाड़-मात्र ही है आधार, ऐ जीवन के पारावार!
उक्त पद्यांश में प्रयुक्त ‘अधीर' शब्द का अर्थ है -