निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्न का सही उत्तर दीजिए आज तुम्हें मुक्ति मिली, कौन तुम्हें दास कहे? स्वामी तुम ऋतुओं के संवत के संग-संग चलते चलो। नदियों ने चलकर ही सागर का रूप लिया मेघों ने चलकर ही धरती को गर्भ दिया रुकने का मरण नाम, पीछे सब प्रसार है। आगे है रंगमहल, युग के ही संग-संग चलते चलो। मानव जिस ओर गया नगर बने, तीर्थ बने तुमसे है कौन बड़ा? गगन-सिंधु मित्र बने, भूमि का भोग सुख, नदियों का सोम पियो त्यागो सब जिर्ण वसन, नूतन के संग-संग चलते चलो। |
'त्यागो सब जीर्ण वसन' का क्या तात्पर्य है ? |
सब पुराने वस्त्र त्याग दो
सदा नए वस्त्र धारण करो
पुरानी सड़ी-गली रूढ़ियों को त्याग दो
सभी भावनाओं को त्याग दो |
पुरानी सड़ी-गली रूढ़ियों को त्याग दो |
'त्यागो सब जीर्ण वसन' का तात्पर्य है,पुरानी सड़ी-गली रूढ़ियों को त्याग दो | |