Practicing Success
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिए - |
संन्यासी उत्तम कोटि का मनुष्य क्यों होता है? |
उसमे संचय की वृति होती है | उसमे संचय की वृति नही होती है | वह संचय करके असंचय करता है | संचय और असंचय के बीच फंसा रहता है | |
उसमे संचय की वृति नही होती है | |
सही उत्तर उसमें संचय की वृत्ति नहीं होती है है। गद्यांश में लेखक यह बताते हैं कि संन्यासी उत्तम कोटि का मनुष्य होता है क्योंकि उसमें संचय की वृत्ति नहीं होती है। संचय की वृत्ति का अर्थ है धन, संपत्ति, या अन्य सांसारिक वस्तुओं को एकत्र करने की इच्छा। संन्यासी इस इच्छा से मुक्त होता है। वह सांसारिक मोह-माया से दूर रहता है। लेखक कहते हैं कि संन्यासी का जीवन एक आदर्श जीवन है। वह जी खोलकर दूसरों की सेवा करता है। वह समाज के लिए कुछ करने के लिए तत्पर रहता है। इस प्रकार, गद्यांश के आधार पर यह स्पष्ट है कि लेखक के अनुसार, संन्यासी उत्तम कोटि का मनुष्य होता है क्योंकि उसमें संचय की वृत्ति नहीं होती है। |