निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर प्रश्न का उत्तर दीजिए:- |
मनुष्य क्या चाहता है? |
पशुपति बनना शासक बनना धनवान बनना सुख शांतिपूर्वक रहना |
सुख शांतिपूर्वक रहना |
गद्यांश के अनुसार, प्राचीन समय में मनुष्य छोटे-छोटे समूह बनाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते थे। वे आपस में लड़कर एक दूसरे को कष्ट पहुँचा कर बहुत खुश होते थे। लेकिन यह खुशी क्षणिक थी। इसका परिणाम यह हुआ कि उनका सुख बिलकुल ही समाप्त हो गया। इसलिए, महापुरुषों ने सुखी रहने का सबसे सरल उपाय यह बताया है कि दूसरों के दुःख को अपना दुःख और दूसरों के सुख को अपना सुख मानो। जब हम दूसरों के सुख के लिए काम करेंगे, तो हमें भी सुख मिलेगा। और जब हम दूसरों के दुःख को कम करने का प्रयास करेंगे, तो हमारे भीतर भी सुख और शांति का अनुभव होगा। इस प्रकार, मनुष्य का मूल उद्देश्य सुख शांतिपूर्वक रहना है। अन्य सभी लक्ष्य, जैसे कि पशुपति बनना, शासक बनना या धनवान बनना, इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए माध्यम मात्र हैं। |