निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न का सही उत्तर चुनिए। हिन्दू या भारतीय संस्कृति की इस विशेषता को लोग बड़े विस्मय से देखते हैं। सुप्रसिद्ध इतिहासकार मिस्टर डाडवेल ने लिखा है कि "भारतीय संस्कृति महासमुद्र के समान है, जिसमें अनेक नदियाँ आ आकर विलीन होती रही है।" मुसलमानी आक्रमण से पूर्व जो तुर्क लोग इस देश में आए थे, उनका क्या हाल हुआ, इसका रहस्य बतलाते हुए एक अन्य इतिहासकार स्मिथ ने लिखा है कि "इन विदेशी लोगों ने भी अपने पहले आने वाले शकों और युचियों के समान ही हिन्दू-धर्म की पाचन शक्ति के सामने घुटने टेक दिए और बड़ी ही शीघ्रता से वे हिन्दुत्व में विलीन हो गए।" आर्यों और द्रविड़ों के मिलन से भारतीय संस्कृति ने जो रूप धारण किया, यह उसी की ताकत थी कि इस समन्वय के बाद जो भी जातियाँ इस देश में आईं, वे भारतीय संस्कृति के समुद्र में एक के बाद एक, विलीन होती चली गईं। जैसा कि श्री जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है "ईरानी और यूनानी लोग, पार्थियन और बैक्ट्रियन लोग, सीथियन और हूण लोग, मुसलमानों से पहले आने वाले तुर्क और ईसा की आरम्भिक सदियों में आनेवाले ईसाई, यहूदी और पारसी, ये सब के सब एक के बाद एक भारत में आए और उनके आने से समाज ने एक हलके कम्पन का भी अनुभव किया, मगर, अन्त में आकर वे सब के सब भारतीय संस्कृति के महासमुद्र में विलीन हो गए। उनका कहीं कोई अलग अस्तित्व नहीं बचा।" एक अन्य विचारक मिस्टर सी.ई.एम. जोड ने लिखा है कि "मानव जाति को भारतवासियों ने जो सबसे बड़ी चीज वरदान के रूप में दी है, वह यह है कि भारतवासी हमेशा ही अनेक जातियों के लोगों और अनेक प्रकार के विचारों के बीच समन्वय करने को तैयार रहे हैं और सभी प्रकार की विविधताओं के बीच एकता कायम करने की उनकी लियाकत और ताकत लाजवाब रही है।" |
प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक होगा- |
मुसलमानों का आक्रमण मानव जाति भारतीय संस्कृति विदेशी शक्ति |
भारतीय संस्कृति |
सही उत्तर विकल्प (3) है → भारतीय संस्कृति |