Practicing Success
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्न का उत्तर दीजिए -
जल से इस सृष्टि के हर प्राणी का एक अटूट नाता है। जल शरीर के निर्माण में सहायक पांच तत्वों, अग्नि ,जल, वायु, धरती , आकाश में से एक प्रमुख तत्व है। इसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना करना भी बेमानी है । जल पूजित पदार्थ है दुर्भाग्य की बात है कि बुद्धिजीवी होते हुए भी हम ऐसे पूजित पदार्थ के प्रति एकदम उदासीन बने हुए हैं, किंतु वास्तव में यह समझना चाहिए कि 'जल है तो कल है' यह उद्घोष हमें जल के उपयोग है कि यदि जल होगा तभी कल होगा वरना इस धरती पर कुछ ना रहेगा। इसलिए जल के सही उपयोग हेतु जागरूक बने, ताकि आने वाली पीढ़ी को यह प्राकृतिक धरोहर उसी रूप में प्राप्त हो सके जिस रूप में हमारे पूर्वजों ने हमें सौंपी है। हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि जल अमूल्य है, इसकी एक-एक बूंद में जीवन है।जल जीवनदायी तत्व है। इसी कारण कहा गया है - ' जल बिनु सारहीन संसारा' सारा वास्तव में, जल के बिना संसार निस्सार है। जल से ही इसका अस्तित्व है, जल नहीं, तो जग नहीं। जल अर्थात पानी की उपयोगिता रहीम ने भी 'बिन पानी सब सून' कहकर उजागर की थी। निस्संदेह, जल ही जीवन है और इस उपयोगी तत्व को हमें नासमझी से यूं ही बर्बाद नहीं करना चाहिए। आज विश्व के आगे जो समस्याएं चुनौती बनकर खड़ी हैं उनमें जल - समस्या भी एक प्रमुख समस्या है और संभावना तो यह भी है कि अगर तीसरे विश्वयुद्ध की नौबत आई, तो उसका प्रमुख कारण जल ही होगा । इसका कारण आवश्यक है कि हम जल का समुचित उपयोग करें और इस जीवनदायी तत्व की जरा भी अनदेखी ना करें। |
जल को लेकर हमारा नैतिक दायित्व क्या होना चाहिए? |
जल को टंकी में भर कर रखना | जल का उपयोग करना | जल को निरंतर चलते रहने देना| जल की उपयोगिता को समझते हुए उसकी बचत करना | |
जल की उपयोगिता को समझते हुए उसकी बचत करना | |
जल को लेकर हमारा नैतिक दायित्व उसकी उपयोगिता को समझते हुए उसकी बचत करना, तथा उसे बर्बाद होने से बचाना होना चाहिए | ऐसा करके ही हम इस प्राणदायी तत्व का संरक्षण कर सकते है। |