"निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिए-: |
"नहीं झुका करते जो दुनिया से" पंक्ति में किसके सामने न झुकने की बात कही गई है? |
विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने दुनिया के सभी देशों के सामने अन्यायी राजाओं के सामने दुनिया के व्यक्तियों के सामने |
विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने |
पद्यांश में "नहीं झुका करते जो दुनिया से" पंक्ति में उन लोगों की बात कही गई है जो विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने नहीं झुकते। वे अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के लिए संघर्ष करते हैं, और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहते हैं। पद्यांश की अन्य पंक्तियाँ भी इस बात की पुष्टि करती हैं कि कवि उन लोगों का समर्थन कर रही है जो विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने नहीं झुकते। वे ऊँचे से ऊँचे सपनों को देखते हैं, और भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए प्रयास करते हैं। इस प्रकार, "नहीं झुका करते जो दुनिया से" पंक्ति में विषम परिस्थितियों और अन्याय के सामने न झुकने की बात कही गई है। |