वाच्य के कितने प्रकार होते है? |
तीन चार पांच दो |
तीन |
वाच्य क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिसके द्वारा यह जाना जाए कि वाक्य में क्रिया द्वारा किए गए विधान (कही गई बात) का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है। वाच्य के तीन प्रकार हैं:
कर्तृवाच्य में क्रिया का कर्ता प्रधान होता है और क्रिया का कर्म गौण होता है। उदाहरण: राम पढ़ता है। कर्मवाच्य में क्रिया का कर्म प्रधान होता है और क्रिया का कर्ता गौण होता है। उदाहरण: राम से पढ़ा जाता है। भाववाच्य में क्रिया का भाव प्रधान होता है और क्रिया का कर्ता और कर्म गौण होते हैं। उदाहरण: राम का पढ़ना अच्छा है। |