Practicing Success
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर उत्तर दीजिए :- समस्त कलायें स्वरूप और विषय-वस्तु का मिश्रण होती है और इन दोनों से सम्बन्धित कतिपय उत्कृष्टताओं के माध्यम से कलाकार हमारे भीतर कलात्मक द्रष्टिकोण विकसित करने में सफल होते हैं| उदाहरण के लिए कविता में विषय-वस्तु की निर्मित आलंकारिक विचारों और इसके माध्यम से व्यक्त सम्वेदनाओं से होती है और स्वरूप निर्धारण की अभिव्यक्ति के लिए इसमें प्रयुक्त संगीतमय भाषा है इनमें से एक कला से दूसरी कला में स्वरूप में काफी बदलाव होता है और यह तक- नीकी भी होता है| हम यहाँ इसकी ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे और विषय-वस्तु पर भी अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे| हम सिर्फ इस बात को ध्यान में रखेंगे की स्वरूप वस्तुतः विषय-वस्तु अपेक्षित भूमिका में ही होता है और यदि इसकी भूमिका ज्यादा प्रभावी हो तो सम्बन्धित कृति को उत्कृष्ट कला प्रकारता का उदाहरण नहीं कहा जा सकता | कला की विषयवस्तु को समान्यत: इसके द्वारा अभिव्यक्त अभिप्राय के सन्दर्भ में परिभाषित किया जा सकता है| इसमें अनेक उत्कृष्टतायें सन्निहित हो सकती हैं और उन्हें विविध प्रकार से वर्गीकृत किया गया है | |
कला की विषय वस्तु को गद्यांश में किस प्रकार परिभाषित किया गया है? |
इसके द्वारा प्रदर्शित स्वरूप के तौर में इसके द्वारा प्रयुक्त भषा के तौर पर इसमें समाहित अर्थ के तौर पर इसके द्वारा अभिव्यक्त अभिप्राय के तौर पर |
इसके द्वारा अभिव्यक्त अभिप्राय के तौर पर |
कला की विषय-वस्तु को गद्यांश में अभिव्यक्त अभिप्राय के तौर परिभाषित किया गया है| |