निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। उस पंच ने मिसिल को अनिश्चय के साथ इधर-उधर पलटकर देखा। जैसे केवल हिन्दी जाननेवाला तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम की लिपियों को देखकर सिर्फ़ देखता ही रह जाता है और फिर घूमकर अपने हिन्दी प्रेम में खो जाता है, उसी तरह खोयी-खोयी आवाज़ में उसने कहा, "अब आपके होते हुए में क्या पढूँ। आप ही पढ़कर मुकदमा कीजिए।" मिसिल की हालत जलते हुए आलू की-सी हो गई। यू.एन.ओ. छाप पंच ने उसे उलट-पलटकर सरपंच को वापिस कर दिया। सरपंच ने उसे एक हाथ से लेकर दूसरे हाथ से दूसरे पंच को पकड़ा दिया। दूसरे पंच ने उसके आखिरी पन्ने पर बने हुए एक गोल दायरे को काफ़ी गौर से देखा, फिर अचानक ही पंच नं. 1 को पकड़ा दिया। मिसिल इतने हाथों को छूकर तर गई। |
पद्यांश के अनुसार कैसा जीवन नर के लिए व्यर्थ है? |
जो कुछ नहीं करता है। जो बहुत मेहनत करता है। जो पुरुषार्थ करता है। जो नर पोरुष दिखाता है। |
जो कुछ नहीं करता है। |
सही उत्तर विकल्प (1) है → जो कुछ नहीं करता है। |