निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। तीस मील की मंजिल हरिधन ने पाँच घण्टों में तय की। जब वह अपने गाँव की अमराइयों के सामने पहुँचा, तो उसकी मातृ भावना उषा की सुनहरी गोद में खेल रही थी। उन वृक्षों को देखकर उसका विह्वल ह्रदय नाचने लगा। मंदिर का वह सुनहरा कलश देखकर वह इस तरह दौड़ा मानो एक छलाँग में उसके ऊपर जा पहुँचेगा। वह वेग में दौड़ा जा रहा था मानो उसकी माता गोद फैलाए उसे बुला रही हो। जब वह आमों के बाग में पहुँचा, जहाँ डालियों पर बैठकर वह हाथी की सवारी का आनन्द पाता था, जहाँ की कच्ची बेरों ओर लिसोड़ों में एक स्वर्गीय स्वाद था, तो वह बैठ गया और भूमि पर सिर झुका कर रोने लगा मानो अपनी माता को अपनी विपत्ति कथा सुना रहा हो। वहाँ की वायु में, वहाँ के प्रकाश में, मानो उसकी विराट रूपिणी माता व्याप्त हो रही थी, वहाँ की अंगुल - अंगुल भूमि माता के पदचिह्नों से पवित्र थी, माता के स्नेह में डूबे हुए शब्द अभी तक मानो आकाश में गूंज रहे थे। इस वायु और इस आकाश में न जाने कौन-सी संजीवनी थी जिसने उसके शोकार्त ह्रदय को बालोत्साह से भर दिया। वह एक पेड़ पर चढ़ गया और अधर से आम तोड़- तोड़कर खाने लगा। सास के वह कठोर शब्द, स्री का वह निष्ठुर आघात, वह सारा अपमान वह भूल गया। उसके पाँव फूल गए थे। तलवों में जलन हो रही थी; पर इस आनन्द में उसे किसी बात का ध्यान न था। |
इस गद्यांश को पढने के पश्चात् हरिधन की किस स्थिति का पता चलता है? |
वह अपनी माता की गोद में है। वह अपने घर बहुत समय के बाद पहुँचा है। माता उसे अपनी गोद में बुला रही है। मातृभूमि से बहुत प्रेम है। |
वह अपने घर बहुत समय के बाद पहुँचा है। |
सही उत्तर विकल्प (2) है → वह अपने घर बहुत समय के बाद पहुँचा है। |