Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Narrative / Factual)

Question:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

मनुष्य का जीवन इतना विशाल है कि उसमें आचरण को रूप देने के लिए नाना प्रकार के ऊंच-नीच और भले-बुरे विचार, अमीरी और गरीबी, उन्नति और अवनति इत्यादि सहायता पहुंचाते हैं। पवित्र अपवित्रता उतनी ही बदलती है, जितनी कि पवित्र और पवित्रता। जो कुछ जगत में हो रहा है वह केवल आचरण के विकास के अर्थ हो रहा है। अंतरात्मा वही काम करती है जो बाह्य पदार्थों के संयोग का प्रतिबिंब होता है। जिनको हम पवित्रात्मा कहते हैं, क्या पता है किन-किन कूपों से निकलकर वे अब उदय को प्राप्त हुए हैं। जिनको हम धर्मात्मा कहते हैं, क्या पता है किन-किन अधर्मों को करके वे धर्म- ज्ञान पा सके हैं। जिनको हम सभ्य कहते हैं और जो अपने जीवन में पवित्रता को ही सब कुछ समझते हैं, क्या पता है. वे कुछ काल पूर्व बुरी और अधर्म अपवित्रता में लिप्त रहे हैं? अपने जन्म-जन्मांतरों के संस्कारों से भरी हुई अंधकारमय कोठरी से निकल ज्योति और स्वच्छ वायु से परिपूर्ण खुले हुए देश में जब तक अपना आचरण अपने नेत्र न खोल चुका हो तब तक धर्म के गूढ़ तत्व कैसे समझ में आ सकते हैं। नेत्र-रहित को सूर्य से क्या लाभ? कविता, साहित्य, पीर, पैगंबर, गुरू, आचार्य, ऋषि आदि के उपदेशों से लाभ उठाने का यदि आत्मा में बल नहीं तो उनसे क्या लाभ? जब तक यह जीवन का बीज पृथ्वी के मल-मूत्र के ढेर में पड़ा है अथवा जब तक वह खाद की गरमी से अंकुरित नहीं हुआ और प्रस्फुटित होकर उससे दो नये पत्ते ऊपर नहीं निकल आये, तब तक ज्योति और वायु किस काम के?

आचरण के निर्माण के लिए क्या करना आवश्यक हे?

Options:

ज्योतिमय वातावरण में अपने ज्ञान रूपी नेत्रों को खोलना

अंधकारमय कोठरी में रहना

रोषपूर्ण व्यवहार करना

पृथ्वी पर विचरण करना

Correct Answer:

ज्योतिमय वातावरण में अपने ज्ञान रूपी नेत्रों को खोलना

Explanation:

सही उत्तर विकल्प (1) है → ज्योतिमय वातावरण में अपने ज्ञान रूपी नेत्रों को खोलना