महाकवि बिहारी का जन्म सन् 1606 के लगभग हुआ। शुक्ल जी का अनुमान है कि वे 1663 तक विद्यमान रहे। बिहारी रीतिकाल के सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय कवि हैं। वे रीति काव्य के प्रतिनिधि कहे जा सकते हैं। उन्होंने काव्यांग निरूपण नहीं किया है, किंतु उनकी रचना में काव्य रीति रची-बसी है। वे जयपुर के मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। वहाँ उनका काफ़ी सम्मान था। बिहारी के यश का आधार सतसई है। इतना कम लिखकर इतना अधिक यश कम साहित्यकारों को मिला होगा। बिहारी सतसई की लोकप्रियता का यह हाल है कि इसकी पचासों टीकाएँ लिखी जा चुकी हैं और यह काम अभी बंद नहीं हुआ है। बिहारी मूलतः शृंगार के कवि हैं, यद्यपि उन्होंने भक्ति और नीति के भी मार्मिक दोहे रचे हैं। उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए: |
बिहारी किस काल के रचनाकार हैं? |
आदिकाल भक्तिकाल प्रगतिवाद रीतिकाल |
रीतिकाल |
सही उत्तर विकल्प (4) है → रीतिकाल |