बतरस लालच लालं की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे, भौंहनि हँसे, देन कहे, नटि जाय।। नासा मोरि, नचाइ दृग, करी कका की सौंह। काँटे सी कसके हिए, गड़ी कँटीली भौंह।। ललन चलन सुनि पलन में, अँसुवा झलके आइ। भई लखाइ न सखिन्ह हू, झूठै ही जमुहाइ।। उपरोक्त पद्यांश से संबंधित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर बताएं |
उपरोक्त पद्यांश किस कवि द्वारा रचित है? |
कबीर मीरा सूर बिहारी |
बिहारी |
सही उत्तर विकल्प (4) है → बिहारी |