Practicing Success

Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Poetry / Literary)

Question:

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर प्रश्न का उत्तर दीजिए:-
अनन्त रूपों में प्रकृति हमारे सामने आती है-कहीं,मधुर,सुसज्जित या सुंदर रूप में,
कहीं रूखे,बेडौल या कर्कश रूप में,कहीं भव्य,विशाल या विचित्र रूप में, उग्र,कुशल
या भयंकर रूप में सच्चे कवि का ह्रदय उसके उन सब रूपों में लीनं होता है, क्योंकि
उसके अनुराग का कारण अपना खास सुखभोग नहीं,बल्कि चिर साहचर्य द्वारा प्रतिष्ठित
वासना है, जो केवल प्रफुल्ल प्रसून प्रसाद के सौरभ-संचार, मकरंद लोलुप मधुकर के
गुंजार, कोकिल कूजित निकुंज और शीतल सुख स्पर्श समीर इत्यादि की ही चर्चा किया
करते हैं,वे विषयी या भोग्लिप्सू हैं.इसी प्रकार जो केवल मुक्ताभास हिम-बिंदु-मंडित
सरकताभ शब्दजाल, अत्यंत विशाल गिरी-शिखर से गिरते हुए जलप्रताप की गंभीर
गति से उठी हुई सीकर निहारिका के बीच विविध वर्ण स्फुरण की विशालता ,भव्यता
और विचित्रता में ही अपने ह्रदय के लिए सब कुछ पातें हैं, वे तमाशाबीन हैं, सच्चे
भावुक या सहृदय कवि नहीं, प्रकृति के साधारण-असाधारण सब प्रकार के रूपों
को रखने वाले वर्णन हमें वाल्मीकि , कालिदास इत्यादि संस्कृत के प्राचीन कवियों
में मिलते है, पिछले खेवे के कवियों ने मुक्तक रचना में तो अधिकतर प्राकृतिक
वस्तुओं का अलग-अलग उल्लेख मात्र उद्दीपन की दृष्टी से किया है. प्रबंध रचना
में जो थोडा बहुत संश्लिष्ट चित्रण किया है,वह प्रकृति की विशेष रूप-विभूति को
लेकर ही.

उपर्युक्त गद्यांश के उपयुक्त शीर्षक का चयन कीजिए?

Options:

कवि और प्रकृति

प्रकृति के विभिन्न रूप

सच्चा कवि

प्रकृति और संस्कृत के प्राचीन कवि

Correct Answer:

कवि और प्रकृति

Explanation:

उपर्युक्त गद्यांश में कवि और प्रकृति के संबंध पर प्रकाश डाला गया है। गद्यांश में कहा गया है कि एक सच्चा कवि प्रकृति के सभी रूपों को महसूस करता है। वह प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम रखता है और प्रकृति को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग मानता है।

इसलिए, उपर्युक्त गद्यांश के लिए कवि और प्रकृति शीर्षक सबसे उपयुक्त है। यह शीर्षक गद्यांश के मुख्य विषय को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है।