Practicing Success

Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Narrative / Factual)

Question:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर प्रश्न का उत्तर दीजिए:-
कोई भी, यदि किसी ऐसी कक्षा में रहा हो, जहाँ अध्यापक की प्रस्तुति निष्प्राण,
स्थिर और वाचिक वैविध्य के बिना हो, वह शिक्षण के भावात्मक पक्ष की आम समझ
की सराहना करेगा| तथापि, अन्य व्यवहारों के विपरीत भाव को शिक्षण के प्रतिलेखों या
कक्षागत अंतर्क्रिया के उपकरणों से उकेरा नहीं जा सकता| संकुचित दृष्टिकोण केंद्रित शोध
विद्या प्राय शिक्षक की भावात्मक प्रकृति की अनदेखी करते हैं, जो कक्षा के बारे में अधिक
समग्र दृष्टिकोण से उभरता है| यह, भावात्मक प्रकृति, वह नींव है, जिस पर अपने अधिगमकर्ताओं
के साथ रागात्मक एंव पोषक सम्बन्ध का निर्माण किया जा सकता है| जो साधनों में अनुपलब्ध
होता है, विद्यार्थी उसे स्पष्ट रूप दे सकते हैं| विद्यार्थी, अध्यापकों के कृत्यों को रेखांकित करने वाले
संवेगों और आशयों के अच्छे आग्राहक होते हैं और वे प्राय: तदनुसार प्रतिक्रिया भी करते हैं कोई
अध्यापक जो पढाए जा रहे विषय को लेकर उत्साहित होता है और वह इसे अपनी मुखकेंद्रित भाव-
भंगिमाओं, वाणी उतर-चढ़ाव और प्रवृति द्वारा प्रदर्शित करता है और इन्हें इन व्यवहारों को प्रदर्शित
करने वालों की तुलना में उपलब्धि के उच्चतर स्टारों के लिए प्रोत्साहित कर्ता है, ऐसी दशा में विद्यार्थियों
का अधिक ध्यान आकर्षित होने की सम्भावना भी रहेगी| विद्यार्थी इन भावात्मक संकेतों का अनुसरण करते
हैं और तदनुसार पाठ के साथ अपने विनियोजन को निम्न या उच्च कर सकते हैं| अध्यापक के भाव का एक
महत्वपूर्ण पहलू उत्साह है| उत्साह, कक्षा प्रस्तुति के दौरान अध्यापक का जोश, उर्जा ,आवेष्टन, मनोबल और
रुचि तथा अधिगमकर्ताओं के साथ संवेग को साझा करने की इच्छा हैं, जिसमें विद्यार्थी समान प्रतिक्रिया देंगे|
हम शिक्षण के भावात्मक पहलुओं के महत्व की आवश्यकता कब महसूस करते हैं?
Options:
जब अध्यापक में वाचिक वैविध्य हो
जब अध्यापक में जीवंत प्रस्तुति दे
जब अध्यापक की प्रस्तुति नीरस हो
जब अध्यापक का व्याख्यान उम्मीद से बेहतर हो
Correct Answer:
जब अध्यापक की प्रस्तुति नीरस हो
Explanation:
जब अध्यापक की प्रस्तुति नीरस होती है तो हम शिक्षण के भावात्मक पहलुओं
के महत्व की आवश्यकता ही तब होती है जब शिक्षक की प्रस्तुति निष्प्राण,स्थिर
और वाचिक वैविध्य के बिना हो|