निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
न भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! नींद थी मेरी अचल निस्पंद कण-कण में, प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पंदन में; प्रलय में मेरा पता पदचिह्न जीवन में, शाप हूँ जो बन गया वरदान बंधन में;
कूल भी हूँ कूलहीन प्रवाहिनी भी हूँ! नयन में जिस के जलद वह तृषित चातक हूँ, शलभ जिसके प्राण में वह निठुर दीपक हैं; फूल को उर में छिपाए विकल बुलबुल हूँ, एक हो कर दूर तन से छाँह वह चल हूँ; दूर तुम से हूँ अखंड सुहागिनी भी हूँ! |