किलक अरे मैं नेह निहारूँ | |
वीर शांत हास्य वत्सल |
वत्सल |
इन पंक्तियों में एक मां अपने बच्चे के नए दांतों को देखकर खुशी और प्रेम का भाव व्यक्त कर रही है। यह भाव वात्सल्य रस कहलाता है। वात्सल्य रस का स्थाई भाव वात्सल्य या मातृत्व प्रेम होता है। इसमें मां अपने बच्चे के प्रति प्रेम, स्नेह, और आत्मीयता का भाव व्यक्त करती है। इन पंक्तियों में मां अपने बच्चे के दांतों को देखकर उन्हें मोती के समान सुंदर मानती है। वह अपने बच्चे के दांतों को देखकर खुशी से भर जाती है और उन्हें चूमने का मन करती है। यह भाव वात्सल्य रस का प्रतीक है। अन्य विकल्प गलत हैं।
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