निम्नलिखिथ पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आज कज्जल-अश्रुओं में रिमझिमा ले यह घिरा घन, और होंगे नयन सूखे, तिल बुझे औ' पलक रूखे, आर्द्र-चितवन में यहाँ शत-विद्युतों में दीप खेला!
अन्य होंगे चरण हारे, और हैं जो लौटते, दे शूल को संकल्प सारे; दुखव्रती निर्माण-उन्मद; यह अमरता नापते पद, बाँध देंगे अंक-संसृति-से तिमिर में स्वर्ण-वेला!
दूसरी होगी कहानी, शून्य में जिस के मिटे स्वर, धूलि में खोई निशानी, आज जिस पर प्रलय विस्मित, मैं लगाती चल रही नित, मोतियों की हाट औ' चिनगारियों का एक मेला! |