निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए। मैंने अनेक कुत्ते देखे और पाले हैं, किंतु कुत्ते के दैन्य से रहित और उसके लिए अलभ्य दर्प से युक्त मैंने केवल नीलू को ही देखा है ।उसके प्रिय - से प्रिय खाद्य को भी यदि अवज्ञा के साथ फेंककर दिया जाता, तो वह उसकी ओर देखता भी नहीं था, खाना तो दूर की बात थी । यदी उसे किसी बात पर झिड़क भी दिया जाता, तो बिना मनाए वह मेरे सामने ही न आता था। विगत बारह वर्षों से उसका बैठने का स्थान मेरे घर का बाहरी बरामदा ही रहा , जिसकी ऊपरी सीढी पर बैठकर वह प्रत्येक आने -जाने वाले का निरीक्षण करता रहता था। मुझसे मिलने वालों में वह प्रायः सब को पहचानता था। किसी विशेष परिचित को आया हुआ देखकर, वह धीरे-धीरे भीतर आकर मेरे कमरे के दरवाजे पर खड़ा हो जाता था । उसका इस प्रकार आना ही मेरे लिए किसी मित्र की उपस्थिति की सूचना थी । मुझसे “आ रही हूँ” सुनने के उपरांत वह पुन: बाहर अपने निश्चित स्थान पर जा बैठता था। कुत्ते भाषा नहीं जानते, केवल ध्वनि पहचानते हैं । नीलू का ध्वनि ज्ञान इतना विस्तृत और गहरा था कि उसे कुछ कहना भाषा जानने वाले मनुष्य से बात करने के समान हो जाता था। बाहर या रास्ते में घूमते हुए यदि कोई उससे कह देता, “गुरुजी तुम्हें ढूंढ रही थी, नीलू “ तो वह विद्युत गति से चारदीवारी कूदकर मेरे कमरे के सामने आकर खड़ा हो जाता। फिर “कोई काम नहीं है, जाओ” कहने से पहले वह मूर्तिवत एक स्थिति में ही खड़ा रहता । कभी-कभी मैं किसी कार्य में व्यस्त होने के कारण उसकी उपस्थिति जान ही नहीं पाती थी और उसे बहुत समय तक बिना हिले - दुले खड़ा रहना पड़ता था। हिंसक और क्रोधी भूटिये बाप और आखेटप्रिय अल्सेशियन मांँ से जन्म पाकर भी उसमें हिंसा प्रवृत्ति का कोई चिन्ह नहीं था। तेरह वर्ष के जीवन में भी उसे किसी पशु- पक्षी पर झपटते या उसे मारते नहीं देखा गया। उसका यह स्वभाव मेरे लिए ही नहीं , सब देखने वालों के लिए भी आश्चर्य का विषय था। |