जोग ठगौरी ब्रज न बिकैहै। यह ब्यौपार तिहारो ऊधो; ऐसोई फिरि जैहै।। पैलै आए हौ मधुकर ताके उर न समैहै। दाख छाँड़ि कै कटुक निबौरी को अपने मुख खैहै? मूरी के पातन के केना को मुक्ताहल है। सूरदास प्रभु गुनहि छाँड़ि कै को निर्गुन निबैहै?।। 24।।
उपर्युक्त पद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।