प्रस्तुत गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर प्रश्न का उत्तर दीजिए:- अतः उद्योग व्यापार उत्पादन पैमानों के महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के लाभ को ध्यान में रखकर उद्भूत हुआ है यथा-अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा औधोगिक देशों में प्रत्येक फर्म या प्लाट को किसी एक उत्पाद या कुछ विशेष प्रकार और शैली पर बल नहीं देता| इससे इकाई (यूनिट)लागत को कम रखने में कठिनाई होती है| कतिपय विविधताओं और शैली को ध्यान में रखते हुए सतत परिचालन और दीर्घ उत्पादन करने के लिए विशिष्ट और तीव्रतर मशीनरी विकसित की जा सकती है| एक राष्ट्र तब अन्य राष्ट्रों से अन्य विभिन्नताओं तथा शैली के उत्पादों का आयत कर सकता है| अतः उद्धोग व्यापार उपभोक्ताओं के लिए लाभप्रद होता है क्योंकि इससे व्यापक रेंज के विकल्प उपलब्ध हो जाते हैं यथा विपुल प्रकार के वैविध्यपूर्ण उत्पाद का उत्पादन में कोटियों की अर्थ व्यवस्था द्वारा कम मूल्यों पर मिलना सम्भव हो जाता है| इसके कारण उपभोक्ताओं की क्षमता में बहुत बड़ी मात्रा में वेलफेयर उत्पाद प्राप्त होते हैं और इससे माल की किस्मों में वृधि होती है और वे व्यापार के जरिये अच्छा माल खरीद सकते हैं| अतः उधोग व्यापार के महत्व स्पष्ट दिखाई पड़ने लगते हैं| और ऐसा तब हुआ जब 1958 में यूरोपियन यूनियन या साझा बाजार के सदस्यों के बीच व्यापार के संचरण में आने वाले प्रशुक्ल और अन्य बाधाओं को हटा दिया गया| यह पाया गया की इससे व्यापार की मात्रा में प्रवाह होने लगा किन्तु प्रत्येक ब्राड औधोगिक वर्गीकरण के भीतर विविधतापूर्ण उत्पादों के विनिमय में भी संगतपूर्ण वृद्धि होने लगी| |
उत्पादों के कुछ किस्मों के बड़े उत्पादन का परिणाम क्या होगा ? |
इकाई की लागत में कमी पैमाने की औधोगिक अर्थ व्यवस्थाओं में लाभ महत्वपूर्ण अर्थ-व्यवस्थाओं के ग्राहकों को लाभ उत्पादन की बढती लागत |
पैमाने की औधोगिक अर्थ व्यवस्थाओं में लाभ |
उत्पादों की कुछ किस्मों का बड़े पैमाने पर उत्पादन का प्रभाव यह होता है की उत्पादित वस्तु की प्रति इकाई में कमी आ जाती है, क्योंकि उत्पादन के साधनों का अधिकतम अनुकूलतम प्रयोग सुनिश्चित होता है| |