कानपुर के नाना की मुँहबोली बहन 'छबीली' थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी, वीर शिवाजी की गाथाएँ उसको याद ज़बानी थीं। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी। |
इस कविता का उचित शीर्षक चुनिए- |
छबीली मुँहबोली झाँसी की रानी अकेली |
झाँसी की रानी |
सही उत्तर विकल्प (3) है → झाँसी की रानी |