Practicing Success
दिन में सोफे बन जाते है और रात को पलंग, इसे कहते हैं..........रिक्त स्थान के लिए उपयुक्त लोकोक्ति क्या होगी? |
चित्त भी मेरी पट्ट भी मेरी जहाँ चाह वहाँ राह आम के आम गुठलियों के दाम एक पंथ दो काज |
एक पंथ दो काज |
दिन में सोफे बन जाते है और रात को पलंग, इसे कहते हैं एक पंथ दो काज| |