Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Narrative / Factual)

Question:

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कीजिए।

भाषा पर कबीर का जबरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे। जिस बात को उन्होंने जिस रूप में प्रकट करना चाहा है उसे उसी रूप में भाषा से कहलवा लिया- बन गया है तो सीधे-सीधे, नहीं तो दरेरा देकर। भाषा कुछ कबीर के सामने लाचार- सी नजर आती है। उसमें मानो ऐसी हिम्मत ही नहीं है कि उस लापरवा फक्कड़ की किसी फरमाइश को नाहीं कर सके। और अकह कहानी को रूप देकर मनोग्राही बना देने की तो जैसी ताकत कबीर की भाषा में है वैसी बहुत कम लेखकों में पाई जाती है। असीम अनंत ब्रह्मानंद में आत्मा का साक्षीभूत होकर मिलना कुछ वाणी के अगोचर, पकड़ में न आ सकनेवाली ही बात है। पर 'बेहद्दी मैदान में रहा कबीरा' में न केवल उस गंभीर निगूढ़ तत्व को मूर्तिमान कर दिया गया है, बल्कि अपनी फक्कड़ाना प्रकृति की मुहर भी मार दी गई है। वाणी के ऐसे बादशाह को साहित्य रसिक काव्यानंद का आस्वादन करानेवाला समझें तो उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता। फिर व्यंग्य करने में और चुटकी लेने में भी कबीर अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं जानते। पंडित और काजी, अवधू और जोगिया, मुल्ला और मोलवी- सभी उनके व्यंग्य से तिलमिला जाते हैं। अत्यंत सीधी भाषा में वे ऐसी चोट करते हैं कि चोट खानेवाला केवल धूल झाड़के चल देने के सिवा और कोई रास्ता नहीं पाता। इस प्रकार यद्यपि कबीर ने कहीं काव्य लिखने की प्रतिज्ञा नहीं की तथापि उनकी आध्यात्मिक रस की गगरी से छलके हुए रस के काव्य की कटोरी में भी कम रस इकट्ठा नहीं हुआ है।

कबीर की वाणी के विषय में क्या कहा गया है?

Options:

वाणी के शहंशाह थे।

वाणी के डिक्टेटर थे।

वाणी के संत थे।

वाणी के सौदगार।

Correct Answer:

वाणी के डिक्टेटर थे।

Explanation:

सही उत्तर विकल्प (2) है → वाणी के डिक्टेटर थे।