सूची – I कोसूची - II से सुमेलित कीजिए : सूची - I सूची - II
|
A-II, B-III, C-IV, D-II A-I, B-II, C-IV, D-III A-I, B-II, C-III, D-IV A-III, B-IV, C-I, D-II |
A-III, B-IV, C-I, D-II |
सूची - I सूची - II
किसी प्रस्तुत वस्तु की उसके किसी विशेष गुण, क्रिया, स्वभाव आदि की समानता के आधार पर अन्य अप्रस्तुत से समानता स्थापित की जाए तो उपमा अलंकार होगा। हरि पद कोमल कमल से -यहाँ हरि (भगवान) के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों-उपरोक्त पंक्ति में खिलौने को चाँद का रूप बताया गया है, अत: रूपक अलंकार है। जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। कहै कवि का बेनी, बेनी व्याल की चुराई लीनी में- यमक अलंकार है-जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। अनुप्रास अलंकार का अर्थ है, जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। |