निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्न का सही उत्तर दीजिए आज तुम्हें मुक्ति मिली, कौन तुम्हें दास कहे? स्वामी तुम ऋतुओं के संवत के संग-संग चलते चलो। नदियों ने चलकर ही सागर का रूप लिया मेघों ने चलकर ही धरती को गर्भ दिया रुकने का मरण नाम, पीछे सब प्रसार है। आगे है रंगमहल, युग के ही संग-संग चलते चलो। मानव जिस ओर गया नगर बने, तीर्थ बने तुमसे है कौन बड़ा? गगन-सिंधु मित्र बने, भूमि का भोग सुख, नदियों का सोम पियो त्यागो सब जिर्ण वसन, नूतन के संग-संग चलते चलो। |
इस कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है? |
निरंतरता का
बादलों की तरह गरजना
सागर की तरह अथाह होने का
ऋतुओं की तरह परिवर्तित होने का |
निरंतरता का |
इस कविता से हमें निरंतरता का संदेश मिलता है| |