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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ कर प्रश्न का उत्तर दीजिए :- |
पुस्तकालय के कारण भारत को क्या गौरव प्राप्त था? |
अनेकानेक विद्यानुरागी लम्बी यात्राएं करके भारत आया करते थे| भारत में पुस्तकों का भंडार था | भारत जैसी पुस्तकें और कहीं नही थी | उपर्युक्त में से कोई नही| |
अनेकानेक विद्यानुरागी लम्बी यात्राएं करके भारत आया करते थे| |
उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार, पुस्तकालयों के कारण भारत को अनेकानेक विद्यानुरागी लम्बी यात्राएं करके भारत आया करते थे। गद्यांश में बताया गया है कि भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपना सानी नहीं रखते थे। प्राचीनकाल से मुग़ल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन, फारस प्रभृति सुदूरस्थित देशों से झुण्ड- के- झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्राएँ करके भारत आया करते थे। इससे स्पष्ट है कि भारत के पुस्तकालयों में इतनी विविधता और गुणवत्ता वाली पुस्तकें थीं कि अन्य देशों के विद्यानुरागी उन्हें देखने और पढ़ने के लिए भारत आते थे। इस कारण से भारत को एक ज्ञान का केंद्र माना जाता था और उसे गौरव प्राप्त था। |