स्वर संधि के पांच भेद होते हैं:
- दीर्घ संधि: जब दो स्वरों के मेल से एक दीर्घ स्वर बनता है, तो उसे दीर्घ संधि कहते हैं। जैसे: विद्या + आलय = विद्यालय
- गुण संधि: जब दो स्वरों के मेल से एक गुण स्वर बनता है, तो उसे गुण संधि कहते हैं। जैसे: इन्द्र + ईश = इन्द्रेश
- वृद्धि संधि: जब दो स्वरों के मेल से एक वृद्धि स्वर बनता है, तो उसे वृद्धि संधि कहते हैं। जैसे: उत् + औषधि = औषध
- यण संधि: जब दो स्वरों के मेल से एक यण स्वर बनता है, तो उसे यण संधि कहते हैं। जैसे: इ + यश = ईश
- अयादि संधि: जब अ या आ के बाद ए या ऐ हो, तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है। यदि ओ या औ हो, तो दोनों के स्थान पर औ हो जाता है। इसे अयादि संधि कहते हैं। जैसे: आत्मा + ऐक्य = आत्मैक्य
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