Practicing Success

Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Poetry / Literary)

Question:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिये:-
जिन लेखों और विश्लेषणों को हम पढ़ते हैं वे राजनीतिक तकाज़ों से लाभ- हानि का
हिसाब लगाते हुए लिखे जाते हैं, इसलिए उनमें पक्षधरता भी होती है और पक्षधरता के
अनुरूप अपर पक्ष के लिए व्यर्थता भी । इसे भजन मंडली के बीच का भजन कह सकते हैं।
सांप्रदायिकता अर्थात अपने संप्रदाय की हित चिंता जो अभी तक मात्र एक ख्याल ही बना
रह गया है, कि और कदम नहीं बढ़ाए जा सकते। पहले कदम की कसौटी यह है कि वह
दूसरे कदम के लिए रुकावट तो नहीं बन जाता। वृहत्तर सरोकारों से लघुतर सरोकारों का
अनमेल पढ़ना उन्हें संकीर्ण ही नहीं बनाता ,अन्य हितों से टकराव की स्थिति में लाकर एक
ऐसी पंगुता पैदा करता है । धर्मों, संप्रदायों और यहां तक कि विचारधाराओं तक की सीमाएँ यही
से पैदा होती हैं, जिनका आरंभ तो मानवतावादी तकाज़ों से होता है और अमल में वे मानवद्रोही ही
नहीं हो जाते बल्कि उस सीमित समाज का भी अहित करते हैं, जिसके हित की चिंता को सर्वोपरि
मानकर यह चलते हैं ।
सामुदायिक हितों का टकराव वर्चस्व हितों से होना अवश्यंभावी है । अवसर की कमी
और अस्तित्व की रक्षा के चलते दूसरे वंचित या अभावग्रस्त समुदायों से भी टकराव और
प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा होती है। बाहरी एकरूपता के नीचे समाजों में भीतरी दायरे में कई
तरह के असंतोष बने रहते हैं और यह पहले से रहे हैं। सांप्रदायिकता ऐसी की संप्रदायों के
भीतर भी संप्रदाय। भारतीय समाज का आर्थिक ताना-बाना ऐसा रहा है कि इसने सामाजिक
अलगाव को विस्फोट नहीं होने दिया और इसके चलते ही अभिजातीय सांप्रदायिक संगठनों
को पहले कभी जन समर्थन नहीं मिला।

हमारे सरोकारों की रुकावट और परस्पर टकराव के क्या परिणाम होते हैं?

Options:

हमारी प्रगति होती है।

हमारी प्रगति रुक जाती है।

मनुष्य प्रगति की और बढ़ जाता है।

प्रगतिशीलता जीवन में बनी रहती है।

Correct Answer:

हमारी प्रगति रुक जाती है।

Explanation:

गद्यांश के अनुसार, हमारे सरोकारों की रुकावट और परस्पर टकराव के परिणामस्वरूप हमारी प्रगति रुक जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हमारे सरोकार एक-दूसरे के विरोध में आ जाते हैं, तो हम एक-दूसरे के विरोध में खड़े हो जाते हैं। इससे संघर्ष, हिंसा, और अस्थिरता पैदा होती है। इस स्थिति में कोई भी सकारात्मक प्रगति करना संभव नहीं होता है।