निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दें। जब से संसार में बुद्धिवाद का जोर बढ़ा, बौद्ध धर्म भारत से बाहर और भारत में भी, काफी लोकप्रिय हो उठा है। किन्तु, इस लोकप्रियता का कारण यह नहीं है कि आज का मनुष्य धर्म की राह पर आने को बेचैन है और तथागत के धर्म में उसे आत्मा की शान्ति का मार्ग दिखाई पड़ता हैं, बल्कि, यह कि वह धर्म के प्राचीन संस्कारों से ऊपर उठना चाहता है और अग्धविश्वास के खिलाफ उसका संघर्ष है। आज के मनुष्य की श्रद्धा, संत और महात्मा बुद्धदेव पर नहीं, बल्कि, विद्रोही और बुद्धिवादी बुद्धदेव पर है। नवीन मनुष्य को शंकाएँ झकझोर रही हैं, वे शंकाएँ भगवान बुद्ध के सामने भी आई थीं, इसीलिए, आज का मनुष्य धर्म के अन्य नेताओं की अपेक्षा भगवान बुद्ध की और कुछ अधिक उत्साह से देखता है। डॉक्टर राधाकृष्णन ने एक जगह लिखा है कि "शंका,संदेह और नास्तिकता से भरे हुए कितने ही साहित्य में बुद्धदेव का नाम आदर से लिया गया है। जो मानवतावादी हैं, वे बुद्धदेव का आदर यह समझकर करते हैं कि वे मानवतावाद के प्राचीन प्रवर्तकों में से हैं। जो लोग यह मानते हैं कि जीवन के अन्तिम सत्य को (इस बात को कि सृष्टि कहाँ से निकली है तथा मरने के बाद मनुष्य का क्या होता है) मनुष्य नहीं जान सकता, वे भी बुद्धदेव की दुहाई देते हैं और जिनका यह विश्वास है कि अन्तिम सत्य नाम की कोई चीज ही नहीं है, वे भी उन्हीं का नाम लेते हैं। बौद्धिक शंकाओं से भरा हुआ पंडित, समाजवादी आदर्शों का प्रेमी नौजवान, भौतिक उहापोह में उलझा हुआ प्राणी और बुद्धिवाद की रोशनी में चलने का दावा करने वाला पेगम्बर, वे सब-के-सब, समय-समय पर, बुद्धदेव का नाम लेते हैं और जगह-जगह, अपनी बात को ऊपर करने के लिए उनके वचनों का उदाहरण देते हैं।" असल में, नास्तिकता की ओर जिसका भी थोड़ा झुकाव है या जो भी मनुष्य समाज में समता लाने की दिशा में प्रयास कर रहा है, उसे बुद्धदेव अपने से कुछ करीब जान पड़ते हैं। |
लेखक का 'उहापोह 'शब्द से क्या आशय है? |
प्रसन्न होना क्रोधित होना रोष होना विचारों का अंतद्वन्द्व |
विचारों का अंतद्वन्द्व |
गद्यांश में लेखक ने कहा है कि "भौतिक उहापोह में उलझा हुआ प्राणी"। इस वाक्य में "उहापोह" शब्द का प्रयोग किया गया है। इस शब्द का अर्थ है, "चिंतन, विचार, मनन, चिंता, दुविधा, संशय"। लेखक का आशय है कि आधुनिक युग में लोग धर्म के प्राचीन संस्कारों से ऊपर उठना चाहते हैं और अंधविश्वासों के खिलाफ उनका संघर्ष है। वे अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग करके सत्य को खोजने के लिए उत्सुक हैं। इस कारण उनके मन में कई तरह के विचारों का अंतद्वन्द्व होता है। वे यह जानना चाहते हैं कि सृष्टि कहाँ से आई है और मरने के बाद मनुष्य का क्या होता है। इस तरह के सवालों के जवाब उन्हें धर्म के प्राचीन ग्रंथों में नहीं मिलते हैं। इसलिए, वे इन सवालों के जवाब खोजने के लिए अपने विवेक और बुद्धि का प्रयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में उन्हें कई तरह की शंकाओं और दुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इन शंकाओं और दुविधाओं को ही लेखक ने "उहापोह" शब्द से अभिव्यक्त किया है। इस प्रकार, स्पष्ट है कि लेखक का "उहापोह" शब्द से आशय है, "विचारों का अंतद्वन्द्व"। |