Target Exam

CUET

Subject

Hindi

Chapter

Comprehension - (Narrative / Factual)

Question:

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर कर प्रश्नों का सही उत्तर चुनिए।

धन की कितनी इच्छा लोभ के लक्षणों तक पहुँचती है, इसका निर्णय कठिन है। पर किसी मनोविकार की उचित सीमा का अतिक्रमण प्राय: वहाँ समझा जाता है जहाँ और मनोवृतियाँ दब जाती हैं या उनके लिए बहुत कम स्थान रह जाता है और मनोवेगों के आधिक्य से लोभ के आधिक्य में विशेषता यह होती है कि लोग स्वविषयान्वेषी होने के कारण अपनी स्थिति वृद्धि का आधार आप खड़ा करता रहता है, जिससे असंतोष की प्रतिष्ठा के साथ-ही-साथ और वृत्तियों के लिए स्थायी अनवकाश हो जाता है, और मनोविकारों में यह बात नहीं होती । क्रोध को ही लीजिए। क्रोध कुछ बातों पर आता है, पर उन बातों को ढूँढने में प्रवृत्त नहीं होता। क्रोधी स्वभाव का मनुष्य ऐसी बातों पर चिढ़ जाता है जिनसे और लोग नहीं चिढ़ते पर वह सदा इस फेर में नहीं घूमा करता कि कोई बात चिढ़ने को मिले। क्रोध में आगबबूला होनेवाला तुरंत करुणा से आर्द्र और लज्जा से पानी-पानी हुए भी देखे जाते है। क्रोध आदि मैं अन्य वृत्तियों का जो बोध जाता है वह प्राय: क्षणिक होता है, पर लोभ द्वारा स्थायी हो जाता है। बात यह है कि लोभ का प्रथम अवयव सुखात्मक होने के कारण लोभी को विषय की ओर बराबर प्रवृत्त रखता है। धन का लोभी धन पाकर लोभ से निवृत्त नहीं हो जाता, या तो भले-बुरे का सब विचार छोड़ रक्षा में तत्पर दिखाई दिता है या और अधिक प्राप्ति में। इस प्रकार लोभ से अन्यमुख वृत्तियों का जो स्तंभन होता है, वह स्वभावांतर्गत हो जाता है।

लोभ के आधिक्य में क्या विशेषता होती है, अपना उत्तर गद्यांश के आधार पर चुनिए?

Options:

मनोविकार की उचित सीमा का अतिक्रमण समझना।

मनोवेगों का आधिक्य

लोग स्वविषयान्वेषी होने के कारण अपनी स्थिति वृद्धि का आधार आप खड़ा करता रहता है।

मनोविकार की उचित सीमा का अतिक्रमण

Correct Answer:

लोग स्वविषयान्वेषी होने के कारण अपनी स्थिति वृद्धि का आधार आप खड़ा करता रहता है।

Explanation:

सही उत्तर विकल्प (4) है → लोग स्वविषयान्वेषी होने के कारण अपनी स्थिति वृद्धि का आधार आप खड़ा करता रहता है।