प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सही विकल्प का चयन करें। रंगनाथ को अब तक शिवपालगंज में रहते हुए छः महीने हो गए थे। उसकी तन्दुरुस्ती अच्छी हो गई थी। ज़बान खराब हो गई थी। सही मौके पर चुप हो जाने और गलत जगह पर जोश दिखाने की आदत पड़ने लगी थी। इस झगड़े में वह कहीं नहीं है, यह मजबूरी उसके मन में हीनता-भाव पैदा करने लगी थी। परिस्थिति के ख़िलाफ़ उसके मन में स्वाभाविक रोष भी पैदा होता था, पर वह हर हिन्दुस्तानी के रोष की तरह बहस-मुबाह्से के रास्ते निकल जाता था और बचा खुचा अच्छे खाने- पीने से दब जाता था। पर आज इस हीनता की अनुभूति और रोष के भाव ने मिलकर उसे न जाने कैसा बना दिया कि उसने पटना शुरू कर दिया। उसने बात उपट से शुरू की और डपट ही पर जाकर छोड़ी। जो भी हो, उसकी बात का अर्थ यही निकला कि 'इस परिस्थिति का डटकर विरोध किया जाना चाहिए- खन्ना मास्टर को पीछे नहीं हटना चाहिए. अन्याय से समझोता नहीं करना चाहिए. कहते कहते रंगनाथ को ऐसा लगा कि वह अंग्रेजी पढ़े-लिखे देसी आदमी की तरह टूटी-फूटी ज़बान में कोई धार्मिक ग्रन्थ बाँच रहा है। वह चुपचाप हो गया। |
रंगनाथ के मन में किसके ख़िलाफ़ स्वाभाविक रोष था? |
अंग्रेजी के ख़िलाफ़ हीनताबोध के ख़िलाफ़ परिस्थिति के ख़िलाफ़ अन्याय के ख़िलाफ़ |
परिस्थिति के ख़िलाफ़ |
सही उत्तर विकल्प (3) है → परिस्थिति के ख़िलाफ़ |