निम्नलिखित अनुच्छेद पर अधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । अहिंसा का मतलब सनक या कमज़ोरी नहीं है। भाग जाना अहिंसा नहीं है। यदि शत्रु के सामने निःशस्त्र खड़े रहने की तैयारी न हो तो उसके ऊपर प्रहार की तैयारी से खड़े रहो। लेकिन भाग जाना तो पूरी तरह त्याज्य और निंद्य है। इसी बात को गांधी जी ने सौ बार कहा है, "यदि आप शस्त्रों से स्वराज्य ले सकते है, तो आप उसे ले लीजिए। मैं दूर खड़ा रहूँगा। लेकिन गुलाम मत रहिए और शस्त्रों से न लड़ सकें तो नि:शस्त्र लड़ाई में शामिल हो जाइए"। स्वतन्त्रता की लड़ाई तो हमें चालू रखनी ही पड़ेगी। भयभीत होकर सच्चाई के मार्ग से विमुख हो जाना, अहिंसा नहीं कायरता है। इसी कायरता के कारण जातियाँ गुलाम होती है। गुलामी में सड़ते रहना तो मनुष्यों को शोभा नहीं देता। गाँधी जी यह कहना नहीं था कि कल देखते-देखते सारी सेनाएँ मिट जाएँगी। भारत को भी सेना, शस्त्रास्त्र सबकी जरुरत पड़ेगी । गति के अठारहवें अध्याय में कहा है कि मारने पर भी मरना नहीं होता है। लेकिन यह स्थिति किसकी है? जिसे सारा विश्व अपने जैसा दिखाई देता है, उसके मारने में जीवन ही है । माँ बच्चे को मारती है, पर बच्चा माँ की गोदी में ही छिपकर रोता है इसलिए माँ का मारना, मारना नहीं होता। राम ने रावण को मारा, लेकिन हम कहते हैं कि उससे रावण का उद्धार हो गया, तो राम का मारना भी हिंसा नहीं कहा जाता, वह तो उद्धार करने वाला मारना था। |
राम द्वारा रावण को मारना हिंसा क्यों नहीं माना जाता? |
राम भगवान है। रावण ने सीता का हरण किया था। रावण का व्यक्तित्व अच्छा नहीं थी । रावण का उद्धार हुआ था। |
रावण का उद्धार हुआ था। |
सही उत्तर विकल्प (4) है → रावण का उद्धार हुआ था। |